विभागीय विक्रय केन्द्र सरूपगंज की स्थापना एवं कार्यप्रक्रिया:-
विभागीय विक्रय केन्द्र स्वरूपगंज वर्ष 1972 से क्रियाशील है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा स्थाई डिपों है। मुख्यतः डिपों में भारी मात्रा में वन उपज बांस का संग्रहण होता है। बांस डिपों पर किस्म एवं मात्रावाईज चट्टे जमाई का कार्य संपादित किया जाता है। तदुपरान्त बांस निलामी हेतु किस्मवाईज चट्टा लिस्ट तैयार होने पर श्रीमान् उप वन संरक्षक डी ओ डी उदयपुर द्वारा महिने में दो बार बांस निलाम किए जाते है। निलामशुदा बांस क्रेताओं से पूर्ण निलामी राशि प्राप्त होने पर बांस निकास किए जाते है।
विभागीय कार्यप्रणाली अनुसार गुणवत्ता युक्त बांस प्राप्त करने हेतु विदोहन कार्य:-
1. विदोहन के लिए प्रत्येक बांस के थूरे में से एक ही बांस में विभिन्न साईजों के परिपक्व बांस काट लिए जाते है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले बांस छूटे नही
2. थूरे की सुरक्षा एवं बांसो के पुर्नउत्पादन के मद्देनजर थूरे की परिधि में कम से कम चार बांस 2 से 3 वर्ष से अधिक आयु के छोड़े जाते है। तीन साल से कम आयु के बांस का विदोहन नहीं करवाया जाता है।
3. बांस की कटाई तेज धार वाले औजार से नीचे से उपर की तरफ 15-30 से.मी. की ऊंचाई के मध्य तिरछा काटा जाता है। ताकि फटने न पाये।
4. बांस का विदोहन क्षेत्र में ऊंचाई से शुरू कर नीचे की तरफ खत्म किया जाता है।
5. बांस के भारे बांधने के लिए कच्चे बांस का उपयोग नहीं किया जाता है।
6. बांस विदोहन ठण्डे मौसम में किया जाना गुणवत्ता की दृष्टि से अधिक लाभदायक रहता है। अतः बांस कटाई शर्द मौसम तक पूर्ण कर ली जाती है।
7. बांस कटाई से पूर्व लेबर को बांस की लंबाई एवं ऊपरी सिरे का गर्थ निर्धारित मापदंड के अनुसार काटने की समझाईश कर दी जाती है।
8. कटे हुए बांस थूरों में बांस कल्चर ऑपरेशन करवा दिया जाता है, जिससे बांस की उत्पादकता में काफी वृद्धि हो जाती है।
बांस कूप में बांस बंडल बांध कर किस्म वाईज चट्टों मे जमवाई का कार्य करने के उपरान्त बांस का परिवहन कूप से विक्रय डिपों पर करवा दिया जाता है।
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