Wednesday, June 10, 2020

पिण्डवाडा का पिन कोड

पिण्डवाडा वृत के पिन कोड 307022 हैं जो पिण्डवाडा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। इसे जीप कोड भी कहा जाता है। 307022 यह राजस्थान राज्य के जिला सिरोही के पिण्डवाडा तहसील का है। पिन कोड का पूरा नाम पोस्टल इंडेक्स नम्बर है। पिन कोड का उपयोग भारतीय डाक में प्रयुक्त पोस्ट कोड सिस्टम या पोस्ट आफिस नम्बरींग में होता हैं। पिण्डवाडा डाकघर शाखा या उपकार्यालय हैं जिसका प्रमुख डाकघर सिरोही है। यह पिन कोड संख्या 6 अक का होता हैं। पिन कोड का पहला चरित्र उप क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हैं तथा तीसरा चरित्र भारत में जिले की छंटनी का प्रतिनिधित्व करता हैं पिन कोड के अन्तिम 3 अंक जिले में डाकघर के नाम का प्रतिनिधित्व करता हैं। इस प्रकार पिन कोड का उपयोग होता है। इस प्रकार पिण्डवाडा का पिन कोड 307022 हैं।
Post Office Pindwara#Pin Code 307022#sirohi#Pindwara 307022

Tuesday, June 9, 2020

पिण्डवाडा की खनिज सम्पदा

पिण्डवाडा की खनिज सम्पदा कि दृष्टि से बेहद सम्पन्न कस्बा है। पिण्डवाडा की धरती के आंचल में लाईमस्टोन एवं वुलस्टोनाईट की दुर्लभतम खनिज सम्पदाएं निकलती है इस आलेख में आज हम इन दुर्लभ खनिजो के बारे में बता रहे है।
वुलस्टोनाईट (Wollastonite) यह दुर्लभतम खनिज समूचे एशिया में सिर्फ पिण्डवाडा क्षेत्र की अरावली पहाडियो से निकलता है। वुलस्टोनाईट सिरेमिक,(चीनी मिट्टी) उद्योग, विद्युत इन्सुलेटर में, आधुनिक फर्श व वाॅल टाईलस बनाने में, पेन्ट उद्योग में, कागज व रबर उद्योग, व वेल्डींग की रोड बनाने के काम आता हैं। पिण्डवाडा क्षेत्र में मैं. वाॅलकेम इण्डिया लिमिटेड कम्पनी वुलस्टोनाईट का खनन कर रही है।



लाईमस्टोन (Limestone) सीमेन्ट निर्माण के काम आता है। यह खनिज भी पिण्डवाडा क्षेत्र की अरावली पहाडियों से निकलता है। लाईमस्टोन खनिज पिण्डवाडा धरती के आंचल में इतना प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं कि पिण्डवाडा से 20 कि.मी. की दूरी पर मैं. जे.के. लक्ष्मी सीमेन्ट कम्पनी एवं पिण्डवाडा से 5 कि.मी. की दूरी पर मैं. बिनानी सीमेन्ट कम्पनी जो वर्तमान में मैं. अल्ट्राटेक सीमन्ट कम्पनी इसका खनन कर रही हैं।



Wolkem#Binani Cement Ltd#J.K. Laxmi cement# J.K.Puram# Banas#Ultratech#Minerals Property of Pindwara

Sunday, June 7, 2020

स्वरूपगंज का परिचय

स्वरूपगंज का नाम महाराजा स्वरूप सिंह जी के नाम पर स्वरूपगंज रखा गया जो आज भी स्वरूपगंज के ही नाम से जाना जाता हैं किन्तु स्वरूपगंज के आस पास आदिवासीयो की बोली अनुसार सरूपगंज बोला जाता हैं जो अब हर जगह सरूपगंज ही बोला जाता हैं। यह ग्राम महाराजा स्वरूप सिंह जी द्वारा जयपुर के नक्शे की तर्ज पर समकोणीय गलियो व सडको के आधार पर मास्टर प्लान के अनुसार नारियल (श्रीफल) मात्र के ऐवज में पट्टे वितरित किये थे। यह कस्बा दिल्ली से अहमदाबाद राष्ट्रीय उच्च पथ पर स्थित हैं। यहा के लोग रोजगार के लिये कृषि कार्य, व्यापार,नौकरी, एवं मजदूरी करते हैं। इस ग्राम व आस पास की जनसंख्या अनुसार इस ग्राम में उप तहसील स्थापित है जिसका कार्यभार नायब तहसीलदार देखता हैं। जहां रजिस्ट्री पंजीयन शाखा भी हैं। यहां वेस्ट बनास बांध हैं एवं छोटे तालाब व पक्के एनिकेट हैं जिससे भूमिक्षरण रोका जाता हैं। यहां आदिवासी जनसंख्या अधिक होने के कारण जीप, टेक्सियो व ट्रासंपोर्ट का कार्य प्रमुखता से होता हैं। स्वरूपगंज के आस पास के गावों को मिलाकर 550 जीपे, एवं 150 ट्रक हैं। स्वरूपगंज के समीप ही टोल प्लाजा बनाया हुआ है। जो वहा से गजरने वाले वाहनो से टेक्स वसूल किया जाता है। ग्राम में ट्रेफिक व्यवस्था अस्पताल, मेडिकल की बेहतरीन व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित है। शिक्षा का विस्तार भी धीरे-धीरे विकसित हुआ हैं। कस्बे में राजकिय विद्यालय और प्राईवेट विद्यालय भी स्थापित हैं। ग्राम के समीप ही भारजा रोड पर माधव विश्वविद्यालय भी हैं। और ग्राम से 25 कि.मी. दूरी पर पिण्डवाडा में भी एक प्राईवेट महाविद्यालय और एक राजकिय महाविद्यालय है। और ग्राम से 30 कि.मी. दूरी पर आबूरोड में भी राजकिय महाविद्यालय और प्राईवेट महाविद्याल है। जिससे कि ग्राम ओर आसपास के क्षेत्र में शिक्षा का विस्तार भी अघिक हुआ हैं। 
Sawrupaganj#Pindwara#Aburoad# Police station #Railway station

Saturday, June 6, 2020

बासं डिपो संरूपगंज

विभागीय विक्रय केन्द्र सरूपगंज की  स्थापना एवं कार्यप्रक्रिया:-

विभागीय विक्रय केन्द्र स्वरूपगंज वर्ष 1972 से क्रियाशील है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा स्थाई डिपों है। मुख्यतः डिपों में भारी मात्रा में वन उपज बांस का संग्रहण होता है। बांस डिपों पर किस्म एवं मात्रावाईज चट्टे जमाई का कार्य संपादित किया जाता है। तदुपरान्त बांस निलामी हेतु किस्मवाईज चट्टा लिस्ट तैयार होने पर श्रीमान् उप वन संरक्षक डी ओ डी उदयपुर द्वारा महिने में दो बार बांस निलाम किए जाते है। निलामशुदा बांस क्रेताओं से पूर्ण निलामी राशि प्राप्त होने पर बांस निकास किए जाते है।

विभागीय कार्यप्रणाली अनुसार गुणवत्ता युक्त बांस प्राप्त करने हेतु विदोहन कार्य:-

1. विदोहन के लिए प्रत्येक बांस के थूरे में से एक ही बांस में विभिन्न साईजों के परिपक्व बांस काट लिए जाते है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले बांस छूटे नही

2. थूरे की सुरक्षा एवं बांसो के पुर्नउत्पादन के मद्देनजर थूरे की परिधि में कम से कम चार बांस 2 से 3 वर्ष से अधिक आयु के छोड़े जाते है। तीन साल से कम आयु के बांस का विदोहन नहीं करवाया जाता है।

3. बांस की कटाई तेज धार वाले औजार से नीचे से उपर की तरफ 15-30 से.मी. की ऊंचाई के मध्य तिरछा काटा जाता है। ताकि फटने न पाये।

4. बांस का विदोहन क्षेत्र में ऊंचाई से शुरू कर नीचे की तरफ खत्म किया जाता है।

5. बांस के भारे बांधने के लिए कच्चे बांस का उपयोग नहीं किया जाता है।                              

                                                                                                              

6. बांस विदोहन ठण्डे मौसम में किया जाना गुणवत्ता की दृष्टि से अधिक लाभदायक रहता है। अतः बांस कटाई शर्द मौसम तक पूर्ण कर ली जाती है।

7. बांस कटाई से पूर्व लेबर को बांस की लंबाई एवं ऊपरी सिरे का गर्थ निर्धारित मापदंड के अनुसार काटने की समझाईश कर दी जाती है।

8. कटे हुए बांस थूरों में बांस कल्चर ऑपरेशन करवा दिया जाता है, जिससे बांस की उत्पादकता में काफी वृद्धि हो जाती है।

बांस कूप में बांस बंडल बांध कर किस्म वाईज चट्टों मे जमवाई का कार्य करने के उपरान्त बांस का परिवहन कूप से विक्रय डिपों पर करवा दिया जाता है।

Bamboo#DOD Udaipur#Sarupganj#Pindwara

Tuesday, June 2, 2020

पिण्डवाडा का परिचय



पिण्डवाडा राजस्थान के सिरोही जिले में एक पिण्डवाडा तहसील के नाम से जाना जाता है। यह देव नगरी हरी भरी अरावली पहाडीयो के मध्य स्थित देवनगरी में पावन देव भूमि तपोस्थली के नाम से सम्बोधित की जाने वाली यह भू-धरा जो कि ब्रह्माण्ड का ब्रह्मा स्वरूप कहा जाने वाला परम पावन स्थल है। पिण्डवाडा शास्त्रोत के अनुसार पिण्ड वारा के सहयोग से निर्मित हुआ है। पिण्ड का  शाब्दिक अर्थ है वह परम तत्व अर्थात् ब्रह्मत्व और वारा का आवरणए स्थल या भू-भाग से तालूक रखता है। पिण्डवाडा में शिल्प कला का के प्रभाव के कारण मार्बल फैक्ट्रीयां हस्त शिल्प कलाए अनेक शिक्षा विद्यालयए 10 किलोमीटर की दूरी पर जे.के. लक्ष्मी सीमेन्ट फैक्ट्रीए पिण्डवाडा से 2 किलोमीटर दूरी पर वोल्केम इण्डिया लिमिटेड फैक्ट्री व पिण्डवाडा से 7 किलोमीटर की दूरी पर बिनानी सीमेन्ट फैक्ट्री जो वर्तमान में अलट्राटेक नाम हैं तथा अनेक कुटीर उद्योग व्यापत है। पिण्डवाडा राजस्थान के सिरोही जिले में एक शहर है जो सिरोही जिले की पांच तहसीलो में से एक तहसील पिण्डवाडा है। पिण्डवाडा के चारो और मन्दिर ही मन्दिर है। पिण्डवाडा में प्राचीन विख्यात  मन्दिर पूर्व की ओर 3.4 किलोमीटर की दूरी पर श्री गोपश्वर महादेव का परम धाम स्थित है। उससे 4 किलोमीटर की दूरी पर श्री रामेश्वर महादेव का परम धाम स्थित है। पिण्डवाडा के दक्षिण दिशा में 7 किलोमीटर दूरी पर मार्कुण्डेश्वर महादेव का पवित्र धाम स्थित है। यहा पर सरस्वती माता भी बिराजमान है। मार्कुण्डेश्वर धाम से 2 किलोमीटर की दूरी पर बसन्तगढ में भटेश्वर महोदव का पवित्र धाम स्थित है। जहा ब्रह्माजी का आलौकिक अद्वितीय मन्दिर से करीब 12.15 किलोमीटर की दूरी पर नांदिया में में रिछेश्वर धाम का भव्य प्राचीन मन्दिर की पहाडियो के मध्य स्थित है लौटाना अभ्यारण की और एक किलोमीटर पर सरतानेश्वर महादेव का भव्य मन्दिर स्थित है सरतानेश्वर महादेव के उतर दिशा में लगभग 22 किलोमीटर मां भगवती जगदम्बिका आरासणामयी का भव्य मन्दिर बना हुआ है आरासणा अम्बाजी से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर बामण्डवाडजी का परम धाम है जहां वर्तमान में जैन समाज का भव्य जैन मन्दिर स्थापित है। कहां जाता है कि बामण्वाडजी वामन अवतार ब्रह्मदेव अवतार भगवान हरी के वशंज यहा तप अनुष्ठान किया करते थे अनुष्ठान के प्रभाव से देवाधिदेव दूधेश्वर महादेव का पवित्र स्थान हो गया। इसलिए पिण्डवाडा देव नगरी के नाम से जाना जाता है।

Introduction to Pindwara