स्वरूपगंज का नाम महाराजा स्वरूप सिंह जी के नाम पर स्वरूपगंज रखा गया जो आज भी स्वरूपगंज के ही नाम से जाना जाता हैं किन्तु स्वरूपगंज के आस पास आदिवासीयो की बोली अनुसार सरूपगंज बोला जाता हैं जो अब हर जगह सरूपगंज ही बोला जाता हैं। यह ग्राम महाराजा स्वरूप सिंह जी द्वारा जयपुर के नक्शे की तर्ज पर समकोणीय गलियो व सडको के आधार पर मास्टर प्लान के अनुसार नारियल (श्रीफल) मात्र के ऐवज में पट्टे वितरित किये थे। यह कस्बा दिल्ली से अहमदाबाद राष्ट्रीय उच्च पथ पर स्थित हैं। यहा के लोग रोजगार के लिये कृषि कार्य, व्यापार,नौकरी, एवं मजदूरी करते हैं। इस ग्राम व आस पास की जनसंख्या अनुसार इस ग्राम में उप तहसील स्थापित है जिसका कार्यभार नायब तहसीलदार देखता हैं। जहां रजिस्ट्री पंजीयन शाखा भी हैं। यहां वेस्ट बनास बांध हैं एवं छोटे तालाब व पक्के एनिकेट हैं जिससे भूमिक्षरण रोका जाता हैं। यहां आदिवासी जनसंख्या अधिक होने के कारण जीप, टेक्सियो व ट्रासंपोर्ट का कार्य प्रमुखता से होता हैं। स्वरूपगंज के आस पास के गावों को मिलाकर 550 जीपे, एवं 150 ट्रक हैं। स्वरूपगंज के समीप ही टोल प्लाजा बनाया हुआ है। जो वहा से गजरने वाले वाहनो से टेक्स वसूल किया जाता है। ग्राम में ट्रेफिक व्यवस्था अस्पताल, मेडिकल की बेहतरीन व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित है। शिक्षा का विस्तार भी धीरे-धीरे विकसित हुआ हैं। कस्बे में राजकिय विद्यालय और प्राईवेट विद्यालय भी स्थापित हैं। ग्राम के समीप ही भारजा रोड पर माधव विश्वविद्यालय भी हैं। और ग्राम से 25 कि.मी. दूरी पर पिण्डवाडा में भी एक प्राईवेट महाविद्यालय और एक राजकिय महाविद्यालय है। और ग्राम से 30 कि.मी. दूरी पर आबूरोड में भी राजकिय महाविद्यालय और प्राईवेट महाविद्याल है। जिससे कि ग्राम ओर आसपास के क्षेत्र में शिक्षा का विस्तार भी अघिक हुआ हैं।
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